Monday, April 14, 2014
हिंदी विश्वविद्यालय में दो-दिवसीय अनुवाद कार्यशाला का समापन
महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय का दूर शिक्षा निदेशालय और साने गुरूजी राष्ट्रीय स्मारक ट्रस्ट, मुंबई के संयुक्त तत्वावधान में विश्वविद्यालय में आयोजित दो दिवसीय (दि. 28 एवं 29 मार्च) को आयोजित अनुवाद कार्यशाला का समापन हबीब तनवीर सभागार में शनिवार को हुआ। समापन समारोह में दूर शिक्षा निदेशालय के निदेशक प्रो. मनोज कुमार, आंतरभारती अनुवाद सुविधा केंद्र की अध्यक्ष प्रो. पुष्पा भावे, इंडिया इंटरनेशनल मल्टीव्हर्सिटी, पुणे के कुलपति प्रो. प्रमोद तलगेरी तथा प्रख्यात अनुवादक प्रो. नीरजा मंचस्थ थे।
समापन वक्तव्य में प्रो. पुष्पा भावे ने कहा, अनुवाद करते समय मूल लेखक और पाठ के बीच अनुवादक का रिश्ता होना चाहिए। जब तक अनुवादक को किसी भी दो भाषाओं का ज्ञान नहीं होता तब तक प्रमाणिक अनुवाद नहीं हो सकता। उन्होंने सांस्कृतिक शब्दों के अनुवाद में आने समस्याओं को भी समझाया। प्रो. मनोज कुमार ने अनुवाद करते समय अपने विवेक का उपयोग करने की सलाह दी और कहा कि ज्ञान के विस्तार के लिए अनुवाद के माध्यम से प्रयास होने चाहिए।
समापन समारोह में कार्यशाला में सहभागी प्रतिभागियों को अतिथियों के द्वारा प्रमाण पत्र प्रदान किये गये। समारोह का संचालन सहायक प्रोफेसर संदीप सपकाले ने किया तथा धन्यवाद ज्ञापन सहायक प्रोफेसर अमरेंद्र कुमार शर्मा ने प्रस्तुत किया। कार्यशाला के संयोजक सहायक प्रोफेसर शैलेश मरजी कदम ने सभी अतिथि तथा प्रतिभागियों को कार्यशाला में सहभागिता करने के लिए धन्यवाद दिया। समारोह में विश्वविद्यालय के अध्यापक, शोधार्थी, विभिन्न स्थानों से आए प्रतिभागी तथा विद्यार्थी बड़ी संख्या में उपस्थित थे।
Subscribe to:
Posts (Atom)